हिन्दू धार्मिक अनुष्ठानो में मंत्रो का विशेष महत्व है। कोई भी पूजा पाठ या धार्मिक अनुष्ठान करने से पहले दीपक प्रज्वलित किया जाता है और देवताओं को पुष्पांजलि अर्पित की जाती है। धार्मिक अनुष्ठानों अर्थात हवन, पूजन, ग्रहप्रवेश, विवाह कर्म, आरती या अन्य पूजन से संबंधित कार्यों में देव शक्तियों को Mantra Pushpanjali अर्पित की जाती है, और उनका आवाहन किया जाता है। मंत्र पुष्पांजलि सम्पूर्ण हो जाने के बाद ही धार्मिक पूजा के अनुष्ठान के शुभ और मंगलमय होने की कामना की जाती है।
Mantra Pushpanjali Lyrics को ठीक से जानना अत्यंत आवश्यक है, क्यूंकि किसी भी मंत्र के शुद्ध उच्चारण के बिना उसके फल की प्राप्ति नहीं होती है। तो पुष्पांजलि मंत्र का ठीक से उच्चारण करके ही उसको प्रभावशाली बनाया जा सकता है। इस लेख में हम मंत्र पुष्पांजलि के lyrics और महत्व को विस्तार से जानेंगे।
संपूर्ण मंत्र पुष्पांजलि Lyrics अर्थ सहित
मंत्र पुष्पांजलि का अर्थ समझना और फिर मंत्र का जाप करना आवश्यक है, जाने हिंदी में अर्थ:
पुष्पांजलि प्रथम मंत्र :
ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तनि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।
ते ह नाकं महिमान: सचंत यत्र पूर्वे साध्या: संति देवा: ॥
पुष्पांजलि प्रथम मंत्र Hindi भावर्थ : देवों ने यज्ञ के द्वारा यज्ञरुप प्रजापती का पूजन किया। यज्ञ और तत्सम उपासना के वे प्रारंभिक धर्मविधि थे। जहां पहले देवता निवास करते थे (स्वर्गलोक में) वह स्थान यज्ञाचरण द्वारा प्राप्त करके साधक महानता (गौरव) प्राप्त करते हैं।
पुष्पांजलि द्वितीय मंत्र :
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने।
नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे।
स मस कामान् काम कामाय मह्यं।
कामेश्र्वरो वैश्रवणो ददातु कुबेराय वैश्रवणाय।
महाराजाय नम: ।
पुष्पांजलि द्वितीय मंत्र Hindi भावर्थ : हमारे लिए सब कुछ अनुकुल करने वाले राजाधिराज वैश्रवण कुबेर को हम वंदन करते हैं। वो कामनेश्वर कुबेर मुझ कामनार्थी की सारी कामनाओं को पूरा करें।
पुष्पांजलि तृतीय मंत्र
ॐ स्वस्ति, साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं
वैराज्यं पारमेष्ट्यं राज्यं महाराज्यमाधिपत्यमयं ।
समन्तपर्यायीस्यात् सार्वभौमः सार्वायुषः आन्तादापरार्धात् ।
पृथीव्यै समुद्रपर्यंताया एकराळ इति ॥
पुष्पांजलि तृतीय मंत्र Hindi भावर्थ :हमारा राज्य सर्व कल्याणकारी राज्य हो। हमारा राज्य सर्व उपभोग्य वस्तुओं से परिपूर्ण हो। यहां लोकराज्य हो। हमारा राज्य आसक्तिरहित, लोभरहित हो। ऐसे परमश्रेष्ठ महाराज्य पर हमारी अधिसत्ता हो। हमारा राज्य क्षितिज की सीमा तक सुरक्षित रहें। समुद्र तक फैली पृथ्वी पर हमारा दीर्घायु अखंड राज्य हो। हमारा राज्य सृष्टि के अंत तक सुरक्षित रहें।
पुष्पांजलि चतुर्थ मंत्र
ॐ तदप्येषः श्लोकोभिगीतो।
मरुतः परिवेष्टारो मरुतस्यावसन् गृहे।
आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवाः सभासद इति ॥
॥ मंत्रपुष्पांजली समर्पयामि ॥
पुष्पांजलि चतुर्थ मंत्र Hindi भावर्थ: राज्य के लिए और राज्य की कीर्ति गाने के लिए यह श्लोक गाया गया है। अविक्षित के पुत्र मरुती, जो राज्यसभा के सर्व सभासद है ऐसे मरुतगणों द्वारा परिवेष्टित किया गया यह राज्य हमें प्राप्त हो यहीं कामना।
संपूर्ण मंत्र पुष्पांजलि PDF
अगर आप संपूर्ण मंत्र पुष्पांजलि PDF Download करके घर में या पूजा स्थल पर रखना चाहते है, तो आप को यहाँ नीचे दिए गए लिंक से Download और Save कर सकते है।
मंत्र पुष्पांजलि Image
मंत्र पुष्पांजलि का महत्व
पुष्पांजलि मंत्र का जाप करने से आपको निम्न फल की प्राप्ति होती है:
- सभी देवी देवताओं को आपकी पूजा और अनुष्ठान सफल करने के कामना करना।
- आपके राज्य के कुशलता और समृद्धि की कामना करना।
- धन कुबेर से धन धन्य और लक्ष्मी प्राप्ति की प्राथर्ना करना।
- रुष्ट देवी देवताओं से छमा याचना करना।
- सफलता प्राप्त करने के लिए सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करना।
इस प्रकार कोई भी धार्मिक अनुष्ठान करने से पहले मंत्र पुष्पांजलि समर्पित करना शुभ और कल्याणकारी माना गया है।
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